
बारिश के दिनों में छत्तीसगढ़ में नदी और झरनों की खूबसूरती और बढ़ जाती है. हरी-भरी वादियां, लबालब भरी नदियां, जलप्रपात देखते ही बनते हैं. प्रदेश में कई जलप्रपात हैं. जिनमें से चित्रकोट, तीरथगढ़, जतमई, घटारानी, चित्रधारा, तामर घूमर, मलांजकुडुम जलप्रपात, चर्रे-मर्रे जलप्रपात, केंदई झरना है. इन्हीं झरनों के साथ बलौदाबाजार जिले में भी खूबसूरत सिद्धखोल जलप्रपात है. जो बारिश होते ही अपने शबाब पर रहता है. इसकी इसी खूबसूरती के कारण बारिश के दिनों में दूर-दूर से पर्यटक इसका नजारा देखने पहुंचते हैं।
इस वर्ष बारिश अच्छा होने के कारण झरने में बहता पानी उसकी सुंदरता बढ़ा रहा है। प्रकृति का ऐसा अद्भुत नजारा देख लोगों के यह आकर्षण का केंद्र्र बना हुआ है। पर्यटकों की लगातार यहां भीड़ तो देखी जा रही है, झरने से गिरता पानी लगातार हो रही बारिश से बौरा कर पूरे घटारानी को भिगो रहा है। घटारानी में मौजूद देवी स्थल तक पानी पहुँचा है, पर वहाँ उसकी धार चकित करते हुए थोड़ी मद्धम है, ऐसा लग रहा है जैसे पानी देनी स्थल के पाँव पखारते हुए अपनी राह को बढ़ रहा है।
राजधानी से लगभग 80 किलोमीटर पर राजिम मार्ग पर स्थित है जतमई का यह स्थल। यहां से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है घटारानी। जतमई पहाड़ी को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने के बाद यह स्थल पर्यटन के नक्शेे पर आया जिसके बाद यहां पर लोग इस मनमोहक प्राकृतिक स्थल को जान व देख रहे हैं। पटेवा के निकट स्थित जतमई पहाड़ी एक 200 मीटर क्षेत्र में फैला पहाड़ है, जिसकी उंचाई करीब 75 मीटर है। यहां शिखर पर विशालकाय पत्थर आपस में जुड़े हुए हैं। जिसे देखकर लगता है इन्हें यहां किसी ने रखा हुआ है।
जतमई और घटारानी की सैर करने के लिए सभी मौसम अनुकूल है। बारिश के मौसम में आसपास का जंगल में हरियाली और ज्यादा बढ़ जाती है। और गर्मियों में हरियाली पेड़ की छाव और पानी आपका मन मोह लेगी। झरने का पानी और भी ज्यादा मनमोहक लगता है।
इस झरने पर आकर पर्यटक नहाने का भी भरपूर मजा ले सकते हैं। घटारानी प्रपात तक पहुंचने के लिए घने जंगल के बीच बनी सकरी सड़क है। जिसमें बताया जाता है कि जंगली जानवर भी हैं। जो कभी कभी यहां से गुजरने वाले पर्यटकों के वाहन के सामने आ जाते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए इन जगहों पर जाने का सबसे अच्छा समय अगस्त से फरवरी तक है।



