विदेश यात्रा संस्मरण 18 – स्विट्जरलैंड की प्राकृतिक सुन्दरता पर निगाह आप हटा ही नहीं पाते

विदेश यात्रा का संस्मरण 18 अब हम उस ट्रेन मे बैठ गए जो विश्व की सबसे ऊंचाई पर अपने यात्रियों को ले जाती है । जैसे ही यात्रा शुरू होती है यह आपके जीवन की रोमांचक यात्राओ मे से एक होगी । उस ट्रेन के छोटे-छोटे डब्बे वहीं हर देश के पर्यटन मे आए यात्रियों का समूह अक्सर देखने को मिलती हैं । आप अब नीचे से उपर की तरफ जा रहे हो पर जैसे ट्रेन आगे धीरे धीरे चलती है आपको भी अहसास होने लगता है । पर स्विट्जरलैंड की प्राकृतिक सुन्दरता निगाह आप हटा ही नहीं पाते । मैने पहले भी लिखा है कि किसको देखे किसको छोडे समझ नहीं आता है । ऐसा लगने लगता है यह मनोरम दृश्य बिलकुल ही न छूटे । जहां आपके मोबाइल का कैमरा कैद करता है वही साथ रखे कैमरे भी अच्छे दृश्य कैद कर ले यह महसूस होते रहता है । अब कहीं कहीं जैसे जैसे उपर की तरफ जा रहे है तो अब पहाड़ो पर बर्फ की चादरों से ओढा पहाड़ नजर आने लगता है । वहीं पहाडों पर बने मकान देखकर तो उसकी सौंदर्यता से ऐसे लगता है कि इन लोगों को रहने मे कितना आनंद आता होगा। हो सकता है कि कुछ परेशानी हो जो हमे उपर से न दिखती हो जो सामना करने वाला ही जानेगा। पहाडों से जो झरने गिर रहे है ऐसा लगता है कि पहाडों के बीच किसी ने सफेद लाइन ही खींच दी है । झरना बहुत ही अच्छा दिखाई देता है। वहीं जहां बर्फ आच्छादित नहीं था वहां पर प्राकृतिक लगे फूल आपको आकर्षित करते है । कई जगह तो समानान्तर पानी बहते हुए देखना ऐसा लग रहा था कि पानी को खेलने की पूरी आजादी मिली हुई है । इन हरियाली पहाडियों के बीच बीच मे यह धारा दूर से पतली लाइन लगने लगती हैं। वैसे ही बरसात मे जब आप मुंबई से पूना आते है तो चट्टानों से पानी का गिरना बड़ा ही दर्शनीय रहता है । इस यात्रा का अब आगे क्रमशः
बस इतना ही
डा . चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ