प्लाज़्मा थेरेपी से नहीं है संभव कोरोना का इलाज, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा अभी सबूत नहीं
अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि प्लाज्मा थेरेपी के जरिए मरीजों को ठीक भी किया जा सकता है
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज आईसीएमआर का हवाला देते हुए कहा कि को रोना का प्लाज्मा थेरेपी के जरिए इलाज नहीं किया जा सकता अगर कोई इस थेरेपी के जरिए इलाज का दावा करता है तो यह गैरकानूनी होगा। अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि प्लाज्मा थेरेपी के जरिए मरीजों को ठीक भी किया जा सकता है।
उन्होंने कहा है कि आईसीएमआर ने इस बात पर अध्ययन शुरू कर दिया है और तब तक इसको लेकर के किसी भी तरह का दावा नहीं किया जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि अगर गाइडलाइन का पालन नहीं किया जाता है तो इसके कोई साइड इफेक्ट भी नजर आ सकते हैं, इसे ट्रायल के लिए ही अभी किया जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि आईसीएमआर ने एक नैशनल स्टडी को लॉन्च किया है। इसके तहत प्लाज्मा थेरेपी के प्रभाव का अध्ययन किया जाएगा। जब तक यह पूरा नहीं हो जाता और आईसीएमआर मंजूरी नहीं देता, इसका इस्तेमाल रिसर्च और ट्रायल के रूप में ही करें।
अग्रवाल ने कहा, ”यदि हम इसे (प्लाज्मा थेरेपी) सही तरीके और गाइडलाइन के तहत ना करें तो मरीज के जीवन को खतरा हो सकता है। जब तक इसका प्रभाव सिद्ध नहीं हो जाता है और अप्रूव नहीं हो जाता तब तक इसको लेकर कोई दावा किया जाना गलत है। कहीं भी इस प्रकार का प्रयोग अवैध है, इससे मरीजों की जान को खतरा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी काफी पुरानी तकनीक है। पिछली सदी में जब स्पैनिश फ्लू फैला था तब इसका इस्तेमाल काफी कारगर साबित हुआ था। इस थेरेपी के तहत ठीक हो चुके मरीजों के खून से प्लाज्मा लेकर बीमार लोगों को चढ़ाया जाता है। ठीक हो चुके मरीजों के एंटीबॉडी से बीमार लोगों को रिकवरी में मदद मिलती है। इससे मरीज के शरीर में वायरस कमजोर पड़ने लगता है।