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भारतीय स्पेस प्रोग्राम के जनक विक्रम साराभाई को गूगल ने डूडल बनाकर किया सलाम

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई को गूगल ने डूडल बनाकर सलाम किया है. साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 में को अहमदाबाद में हुआ था. उनके पिता उद्योगपति थे. साराभाई ने भारत को अंतरिक्ष में पहुंचाया. आज उनकीए 100वी जयंती है. उन्हें 1962 में शांति स्वरूप भटनागर मेडल से भी सम्मानित किया गया था।

डॉ. विक्रम साराभाई का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम से कभी अलग नहीं हो सकता। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को देश दुनिया में एक नई पहचान दिलाई। आइये जानते हैं उनके बारे में –

  1. साराभाई ने 1947 में अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) की स्थापना की थी. उस समय साराभाई की उम्र महज 28 साल थी लेकिन कुछ ही सालों में उन्होंने पीआरएल को विश्वस्तरीय संस्थान बना दिया.
  2. जब वैज्ञानिकों ने स्पेस के अध्ययन के लिए सैटलाइट्स को एक अहम साधन के रूप में देखा, तो पंडित जवाहरलाल नेहरू और होमी भाभा ने विक्रम साराभाई को चेयरमैन बनाते हुए इंडियन नेशनल कमिटी फॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना के लिए समर्थन दिया.
  3. साराभाई को उनके उल्लेखनीय काम के लिए वर्ष 1966 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.साराभाई ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेंजमेंट, अहमदाबाद, दर्पण अकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन, कई संस्थानों की नींव रखी. वह मैसचूसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में विजिटिंग प्रफेसर रहे. उन्होंने होमी भाभा के निधन के बाद कुछ वक्त तक अटॉमिक एनर्जी कमीशन को भी संभाला.
  4. साराभाई ने अपने काम से अपनी पहचान बनाई. वह अपने सरल-स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे. साराभाई को अपनी प्रयोगशाला में चप्पल पहने, सीटी बजाते हुए देखा जा सकता था. वह अपना ब्रीफेकेस भी खुद ही लेकर चलते थे.
  5. साराभाई ने 15 अगस्त 1969 को इंडियन स्पेस रीसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) की स्थापना की. 30 दिसंबर, 1971 को 52 साल की उम्र में उनका अचानक निधन हो गया. उनकी मृत्यु उसी स्थान के नजदीक हुई थी जहां उन्होंने भारत के पहले रॉकेट का परीक्षण किया था.

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