रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से मुलाकात करेंगे और बंदरगाह शहर बोर्दू में 36 राफेल लड़ाकू विमानों में से पहला विमान स्वीकार करेंगे। दशहरा पर वह शस्त्र पूजा भी करेंगे। लड़ाकू विमान राफेल हासिल करने के बाद भारत दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय भूराजनीति में ताकतवर बनकर उभरेगा। ऐसा रक्षा विशेषज्ञों का मानना है, हालांकि, हवाई क्षेत्र में चीन की ताकत का मुकाबला करने में अभी काफी वक्त लगेगा।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार को फ्रांस में 36 राफेल विमान की पहली खेप प्राप्त करेंगे, जबकि भारत के आकाश में मई 2020 में ही ये लड़ाकू विमान उड़ान भर पाएंगे। एयर चीफ मार्शल आर. के. एस. भदौरिया ने कहा कि 30 सितंबर को वायु सेना प्रमुख का पदभार ग्रहण करने के शीघ्र बाद राफेल विमान का मिलना एक ‘गेम चैंजर’ है।
राफेल 4.5वीं पीढ़ी का विमान है जिसमें राडार से बच निकलने की युक्ति है। इससे भारतीय वायुसेना (आईएएफ) में आमूलचूल बदलाव होगा क्योंकि वायुसेना के पास अब तक के विमान मिराज-2000 और सुखोई-30 एमकेआई या तो तीसरी पीढ़ी या चौथी पीढ़ी के विमान हैं। सेवानिवृत्त एयर मार्शल एम. मथेश्वरण ने बताया, “ पाकिस्तान के पास मल्टी रोल विमान एफ-16 है। लेकिन वह वैसा ही है जैसा भारत का मिराज-2000 है। पाकिस्तान के पास राफेल जैसा कोई विमान नहीं है।”
राफेल की खाश बातें
- राफेल विमान दो इंजनों वाला बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है।
- परमाणु आयुध का इस्तेमाल करने में सक्षम है।
- यह हवा से हवा में और हवा से जमीन पर हमले कर सकता है।
- फ्रांसीसी कंपनी दसाल्ट एविएशन ने विमान का निर्माण किया है।