पहली दृष्टिहीन महिला IAS अधिकारी प्रांजल पाटिल ने सोमवार को केरल के तिरुवंतपुरम जिले के सब-कलेक्टर की जिम्मेदारी संभाल ली। महाराष्ट्र के उल्लास नगर की रहने वाली प्रांजल ने 6 साल की उम्र में आंखों की रोशनी खो दी थी, अपनी अंधेरी दुनिया में खो जाने के बजाय तमाम उलझनों को पार करके IAS बनीं। बता दें कि 30 साल की प्रांजल ने 2017 में अपनी रैंक में सुधार किया और 124वीं रैंक हासिल की।
प्रांजल ने जवाहर लाल विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय संबंध विषय पर परास्नातक किया। फिर पीएचडी और एमफिल भी किया। उनका कहना हैं कि वहां हर किसी में समाज के लिए कुछ करने जा जज्बा था, जिससे प्रभावित होकर उन्होंने सिविल सेवा में जाने का फैसला किया। पढ़ाई के प्रति उनकी लगन के कारण ही 2016 में सिविल सर्विस की परीक्षा पहले ही कोशिश में पास कर ली थी।
प्रांजल ने सिविल सर्विस की परीक्षा में 773वां रैंक हासिल की हैं। तब उन्हें भारतीय रेलवे खाता सेवा में नौकरी का प्रस्ताव मिला था लेकिन दृष्टिहीनता के कारण उन्हें नौकरी नहीं दी गई। वे बेहद निराश थीं लेकिन उन्होंने हार मानी और दोबारा प्रयास करने की ठानी। अगले साल वह 124वीं रैंक लेकर आईं और उनकी सफलता ने सभी पूर्वागृहों को जवाब दे दिया। उन्हें प्रशिक्षण अवधि के दौरान एर्नाकुलम सहायक कलेक्टर नियुक्त किया गया था।
रेलवे ने नौकरी देने से किया था मना
प्रांजल को उस समय भारतीय रेलवे लेखा सेवा (आईआरएएस) में जॉब मिली थी। वह जब ट्रेनिंग के लिए रेलवे मंत्रालय के पास पहुंची तो उन्हें रेलवे की तरफ से नौकरी देने से साफ मना कर दिया गया। इसके पीछे रेलवे का तर्क था कि प्रांजल सौ फीसदी नेत्रहीन है। उनकी नेत्रहीनता को आधार मानकर उन्हें ये नौकरी नहीं दी जा सकती है। ये मामला मीडिया तक भी पहुंच गया। इस मामले पर खूब खबरें भी छापी गई थी। इन तमाम मुश्किलों के बाद भी प्रांजल ने हिम्मत नहीं हारी। उस वक्त उनका पूरा परिवार उनके साथ खड़ा था।