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जल्दी मांगिए एयरलाइंस से अपने कैंसिल टिकट का पैसा, जानें मंत्रालय ने दिया निर्देश

मंत्रालय ने दिया निर्देश
सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविशएन (DGCA) को निर्देश दिया है कि यात्रियों का पैसा रिफंड किया जाए. मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से सस्पेंड फ्लाइटों के लिए किसी अन्य तारीख का टिकट उपलब्ध कराना सही कदम नहीं है. इसलिए सभी कंपनियों को लॉकडाउन की वजह से रद्द हुए टिकटों का रिफंड देना होगा.

अगर आपने लॉकडाउन (Lockdown) से पहले किसी फ्लाईट बुक कराई थी तो अब समय आ गया है कि कंपनी से अपना रिफंड मांगे. एयरलाइंस अब कोई बहाना नहीं बना सकती. केंद्र सरकार ने एक नया निर्देश जारी किया है. जानिए क्या है प्रक्रिया…

पहले ध्यान दीजिए कि किस सूरत में आपको रिफंड वापस मिलेगा…

(1) आपने पहले लॉकडाउन यानि 25 मार्च के बाद फ्लाइट बुक कराई, पेमेंट किया हो और यात्रा 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच करनी थी.

(2) आपने पहले लॉकडाउन यानि 25 मार्च के बाद फ्लाइट बुक की, पेमेंट किया और यात्रा 14 अप्रैल के बाद दूसरे लॉकडाउन के दौरान यानि 3 मई तक करनी थी.

इन दोनों में से एक शर्त पूरी होनी चाहिए आपके रिफंड मांगने के तीन हफ्ते की भीतर रिफंड के पैसे मिल जाएंगे.

यात्रियों की समस्या का फिर भी नहीं मिला निदान

गुड़गांव में रहने वाले नागार्जुन का कहना है कि केंद्र सरकार ने असल में यात्रियों की समस्या का सामाधान नहीं किया है. दरअसल ज्यादातर लोगों ने 25 मार्च के लॉकडाउन से पहले टिकट कराई थी. ऐसे में अचानक लॉकडाउन आने से उनके पैसे एयरलाइनों के पास ही है. पहली शर्त का तो मतलब समझ नहीं आ रहा क्योंकि पहले लॉकडाउन के बाद सभी एयरपोर्ट्स बंद थे तो इस दौरान कोई कैसे टिकट बुक करा सकता है? नागार्जुन ने आगे कहा कि जिन दो शर्तों पर यात्रियों को रिफंड दिया जा रहा है, उनमें बेहद कम टिकट होंगी.

एक अन्य अधिकारी का कहना है कि डीजीसीए के निर्देश के बाद सभी एयरलाइनों को रिफंड की प्रक्रिया शुरू करनी होगी. अगर आपने पहले लॉकडाउन यानि 25 मार्च से या इसके बाद फ्लाइट टिकट बुक किया था और फिर कैंसल करना पड़ा तो आपको अपनी टिकट का पूरा पैसा वापस मिलेगा.

उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद लगभग सभी कंपनियों ने यात्रियों से कहा था कि बुक हुए टिकट का रिफंड नहीं दिया जा सकता. आप इसी टिकट के बदले अन्य किसी तारीख की टिकट करा सकते हैं. देश के ज्यादातर घरेलू विमान कंपनियों ने इस बाबत अपनी वेबसाइटों पर जानकारी उपलब्ध कराई है.

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