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सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का जन्मदिन आज, जानिए उनसे जुडी दिलचस्प बातें

लता मंगेशकर 28 सितंबर को अपना 90वां जन्मदिन मनाएंगी। लता मंगेश्कर को कई सम्मान पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। कई पुरस्कारों में से एक है ‘भारत रत्न अवॉर्ड’… लता मंगेशकर को साल 2001 में ‘भारत रत्न अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया।

लता मंगेश्कर को पद्माभूषण, पद्म दादा साहब फाल्के अवॉर्ड और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया है। लता मंगेश्कर जन्म 28 सितंबर 1929 में मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। लता मंगेशकर के पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर ही था। उनके पिता एक थिएटर कंपनी के मालिक के साथ-साथ क्लासिकल सिंगर भी थे। उनकी मां का नाम शेवनती मंगेशकर था। लता अपने पांच भाई बहनों में सबसे बड़ी थीं। लता की तीन बहनों का नाम मीना, आशा, उषा और एक भाई हृदयनाथ मंगेशकर है।

लता मंगेशकर सिर्फ आवाज नहीं हैं वो एक एहसास हैं, जिन्हें हर सुनने वाला महसूस करता है. देश की इस सबसे मशहूर आवाज के बारे में जावेद अख्तर ने क्या खूब कहा, ‘हमारे पास एक चांद है, एक सूरज है और एक लता मंगेशकर हैं…’ उनके इन लफ्जों से हर कोई इत्तेफाक रखना चाहेगा।

‘सुर सामाज्ञी’ लता को लेकर लोग कहते हैं कि उनके गले में खुद सरस्वती का वास है. आम से लेकर खास तक हर कोई उनकी आवाज का कायल है. फिल्मी सितारों में उनकी सुर की दीवानगी ऐसी रही कि एक वक्त बॉलीवुड के मशहूर सितारे भी फिल्में साइन इस शर्त पर करते थे कि लता उन्हें आवाज देंगी।

सन् 1940 में लता मंगेश्कर ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा.. तब उस समय नूर जहां और शमशाद जैसे गायकों का बोलबाला था। जिसके चलते लता मंगेशकर को कई प्रोजेक्ट नहीं मिल पाए थे। उस वक्त डायरेक्टर ये कहकर उन्हें मना कर देते थे कि उनकी आवाज़ की पिच काफी हाई थी और उनकी आवाज़ पतली भी थी।

लता ने साल 1942 में मराठी फिल्म ‘किति हसाल’ में पहला गाना गाया, लेकिन इस गाने को एडिट कर फिल्म से बाहर कर दिया गया। हिंदी सिनेमा में उन्होंने पहला गाना साल 1943 में गाया।

फिल्म ‘गजाभाऊ’ का और इसके बोले थे ‘माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू” गाना गाया। लेकिन ये गाना कुछ ज्यादा नहीं चला। आजादी के बाद सन् 1948 में उन्हें उस समय के मशहूर म्यूज़िक कंपोज़र गुलाम हैदर ने एक बड़ा ब्रेक दिया।

1948 में आई फिल्म ‘मजबूर’ में लता मंगेशकर ने ‘दिल मेरा तोड़ा मुझे कहीं का न छोड़ा’ गाना गाया। जो एक सुपरहिट गाना निकला। इसके बाद वो सफलता की उस राह पर चल पड़ीं।

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