छत्तीसगढ़

एनएमडीसी की मदद से ऐसे बहने लगी बैलाडीला में दूध की नदियां, लोग हुवे खुशहाल

बचेली से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चालकीपारा गांव,ऐसे तो जिले के संवेदनशील, नक्सली प्रभावित क्षेत्र में आता है पर धीरे धीरे इसकी पहचान अब ‘दुग्ध सरिता’ के रूप में होने लगी है। गांव का रूप बदलने में बारह परिवारों , सुखराम , धनेश , गोविंद शर्मिला,और अन्य लोगों का सामुहिक प्रयत्न है। जिसके कारण आज यहाँ बहुत गुणवत्ता और पोषण से भरे ए टू मिल्क का बड़ी मात्रा में उत्पादन होने लगा है । जिससे इन बारह परिवारों को अब तक 6 लाख 69 हजार 562 रुपये की आय और 3 लाख 45 हजार रुपये का शुद्ध आमदनी हुई। इतनी आमदनी पाकर ग्रामीण बहुत खुश हैं और अब इसे और बढ़ाना चाहते हैं।

कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा के द्वारा चालकीपारा में एनएमडीसी सीएसआर मद आयतित बैलाडिला कामधेनु परियोजना का शुभारंभ किया गया था। जो आजीविका के साधनों के विकास करने हेतु एक प्रयास है।। उप संचालक अजमेर सिंह कुशवाहा पशु धन विकास विभाग ने बताया कि पहले गांव के बारह हितग्राहियों का चयन किया गया जो साधारण किसान हैं।

उनके पास कृषि और वनोपज एकत्रण के अतिरिक्त कोई दूसरा माध्यम नहीं था ,जिससे वो अपना गुजारा चला सकें उन्हें सीमित मात्रा में ही आय प्राप्त होता था। चयनित हितग्राहियों को मां दंतेश्वरी गौ संवर्धन एवं शोध केंद्र टेकनार में सात दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें उन्हें गिर और साहीवाल प्रजाति के गाय के पालन ,रखरखाव, दुग्ध उत्पादन, दही,मठा, पनीर,घी निर्माण,गौ मूत्र, गोबर से गैस, खाद बनाना,आदि सिखाया गया।

गाय के लिए हरा चारा लगाने, उसकी कटिंग,पैरा,भूसा निर्मित करना साथ ही गायों की मानसिक अवस्था को समझने के बारे में भी प्रशिक्षण के दौरान उन्हें सिखाया गया।परियोजना के 24 हितग्राहियों के लिए है शुरूआत में 12 हितग्राहियों को गिर और साहीवाल की कुल 24 गाय प्रदान की गयी उद्घाटन के बाद हितग्राहियों ने कार्य करना शुरू किया और दूध ,दही,मठा, घी, पनीर का उत्पादन होने लगा, जिसकी सप्लाई एनएमडीसी तथा आसपास के गाँव मे की जाने लगी।

ए टू मिल्क की कीमत 70 रु रखी गयी। 19 जनवरी से अब तक ग्रामीणों ने 6 लाख 69 हजार 562 रु की आय कर ली है और साथ ही 3 लाख 45 हजार की शुद्ध बचत भी कर ली जो अपने आप मे बहुत बड़ी उपलब्धि है। ग्रामीणों के अंदर इससे नयी ऊर्जा प्रवाहित हो गयी है जिसे वो पूरे दंतेवाड़ा मे फैलाना चाहते हैं और नक्सलगढ़ से नाम बदलकर दुग्ध सरिता करना चाहते हैं। इस परियोजना की सफलता को देखते हुए जिला प्रशासन और एनएमडीसी दूसरी अन्य यूनिट भी खोलने की योजना बना रही है। दंतेवाड़ा में गरीबी उन्मूलन करने के लिए यह एक पहल की तरह देखा जा सकता है।

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