सारकेगुड़ा फर्जी मुठभेड़ – आदिवासी पहुंचे थाने, इनके खिलाफ एफआईआर करने की मांग
छत्तीसगढ़ के सारकेगुड़ा इलाके में जून 2012 को हुए कथित मुठभेड़ के पीडि़त परिवार अब कार्रवाई की मांग को लेकर एकजुट हो गए हैं। ग्रामीण शुक्रवार को तात्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, आईबी चीफ मुकेश गुप्ता, बस्तर आईजी लांगकुमेर, सीआरपीएफ डीआईजी एस एलांगो, एसपी प्रशांत अग्रवाल, टीआई इब्राहिम खान और 190वीं सीआरपीएफ , कोबरा जवानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने बासागुड़ा थाने पहुंचे। कहा जा रहा है 7 लोगों के खिलाफ 17 पीडि़त परिवार नामजद एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी में हैं।
नहीं हुई अब तक एफआईआर-
मिली जानकारी के मुताबिक फिलहाल पुलिस ने एफआईआर की कार्रवाई अभी तक नहीं की है. ग्रामीणों के साथ सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार, सोनी सोढ़ी और वकील पहुंचे थे सारकेगुड़ा गांव. उसके बाद एफआईआर कराने ग्रामीण थाने पहुंचे थे. एफआईआर दर्ज नहीं होने से आक्रोशित ग्रामीण थाने में ही धरने पर बैठे गए।
बता दें कि जून 2012 में बीजापुर के सारकेगुड़ा में सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षा बलों की संयुक्त कार्रवाई में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ का दावा किया गया था. इस मुठभेड़ में 17 नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया गया था। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्हें ग्रामीण आदिवासी बताकर लगातार विरोध के बाद तत्कालीन सरकार ने न्यायिक जांच आयोग गठित की थी।
जांच आयोग ने बीते नवंबर माह में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षा बलों की एकतरफा कार्रवाई में 17 आदिवासी मारे गए. इस रिपोर्ट को आधार मानकर कांग्रेस ने कार्रवाई की मांग की है।