गरियाबंद:- वन अधिकारी के षड्यंत्र का शिकार हुआ आदिवासी, 50 एकड़ जमीन खरीद कर लिया लाखो का लोन
गिरिश गुप्ता गरियाबंद। जिले में आदिवासियों की जमीन तिकड़मबाजी कर गैर आदिवासियों द्वारा खरीदना कोई नई बात नही है। अबतक ऐसे कई मामले सामने आ चुके है। ऐसा ही एक ओर मामला सामने आया है जिसमे एक गैर आदिवासी रेंजर ने आदिवासी की जमीन अपने करीबी मित्र आदिवासी के नाम पर खरीदी, फिर उस पर लाखों रुपये का लोन लिया। और जब लोन नही पटाया तो अब बैंक ने आदिवासी पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया।
मामला छूरा विकासखंड के खड़मा, मडेली ओर कुरेकेरा गांव से जुड़ा है। आरोप है कि रेंजर आरएल जगने ने तीनों गांव में मिलाकर 100 एकड़ से अधिक आदिवासी जमीन अपने करीबी आदिवासी मित्रों के नाम पर खरीदी और जमीन पर लाखों रुपये का लोन लिया। लोन जमा नही किया तो मामले का खुलासा हुआ।
धमतरी जिले के गेंदरा निवासी दयालु राम ने इस मामले का खुलासा किया है। दयालु ने खुद को रेजर के षड्यंत्र का शिकार बताते हुए आदिवासी समाज से मदद की गुहार के लिए आवेदन दिया। दयालूराम के मुताबिक मूलतः कौंदकेरा निवासी आरएल जगने ने खड़मा और मडेली में उसके नाम पर 54 एकड़ आदिवासी जमीन खरीदी। फिर उस पर उन्होंने आईडीबीआई बैंक राजिम और विजय बैंक धमतरी से लाखों रुपये का लोन लिया, जिसे उसने जमा नही किया। अब बैंक उनपर लोन की क़िस्त जमा करने के लिए दबाव बना रहा है। उन्होंने बताया कि आरएल जगने वन विभाग में रेंजर के पद पर पदस्थ थे, अब उनकी मृत्यु हो चुकी है और जमीन पर उसके वारिशों का कब्जा है।
दयालु राम ने मदद के लिए समाज की शरण ली है। सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष भरतलाल दीवान और जिला पंचायत सभापति लोकेश्वरी नेताम ने दयालु राम को मदद का भरोसा दिलाया है। समाज के प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर और अपर कलेक्टर से मिलकर मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। लोकेश्वरी नेताम ने कहा कि पीड़ित दयालु राम के साथ रेंजर द्वारा चार सौ बीसी की गई है। समाज दयालु राम के साथ खड़ा है और उन्हें न्याय दिलाने में हर संभव मदद करने को तैयार है।
एडीएम जेआर चौरसिया
बताया कि प्रथम दृष्टया गड़बड़ नजर आ रही है। प्रकरण दर्ज किया जा रहा है। लोन देने वाले बैंको के प्रबंधकों और रेंजर के वारिशों को भी तलब किया जा रहा है। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।