छत्तीसगढ़

वन अधिकार पट्टा वितरण एक माह के लिए कोर्ट ने और टाला, अब सुको के अनुसार तय होंगे निर्देश

छत्तीसगढ़ में जंगलों को काटकर अपात्रों को वितरित किये जा रहे वन अधिकार पट्टे को निरस्त कर जांच करने की मांग को लेकर दायर की गई रायपुर निवासी नितिन सिंघवी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट चीफ जस्टिस के डिवीजन बैंच ने 6 अगस्त को राज्य में पट्टा बाटने पर रोक लगा दिया था।

कल इस मामले में फिर सुनवाई में हाईकोर्ट ने 6 नवंबर तक पट्टा बांटने के अपने आदेश को बरकरार रखा है। सुनवाई के दौरान एक हस्तक्षेप याचिका भी दायर किया गया है। अब मामले में 5 नवंबर को अगली सुनवाई होगी।

गौरतलब है कि रायपुर निवासी नितीन सिंघवी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि शासन के द्वारा वन अधिकार पट्टा बांटा जा रहा है, जिसमे जंगलों के हरे भरे पेड़ो को काटकर अवैध कब्जा किया जा रहा है। याचिका में उन्होंने बताया है कि सुप्रीमकोर्ट में सीतानदी अभ्यारण में वन भैसों के संरक्षण के लिए दायर टी.एन.गोधावर्मन की याचिका पर वर्ष 2012 में वन भैसों का संरक्षण करने और वनों से कब्जा हटाये जाने के आदेश दिए गये थे साथ ही आवश्यक होने पर वनों से कब्जा हटाने के भी निर्देश दिए गए थे।

पूर्व में मामले में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने याचिका पर उठाए गए मुद्दों पर जल्द सुनवाई और वन अधिकार पट्टों के वितरण पर 2 माह की रोक लगाई थी साथ ही शासन को जवाब प्रस्तुत करने निर्देशित किया गया था। इस पर मंगलवार को कोर्ट में शासन की ओर जवाब प्रस्तुत किया गया। इस संबंध में याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने बताया कि इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि समान प्रकरण सुप्रीमकोर्ट में भी विचाराधीन है, अगर याचिकाकर्ता चाहे तो इस प्रकरण में सुप्रीमकोर्ट जा सकते है।

वहीं कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार द्वारा पट्टा वितरण के फैसले पर लगाईं गई दो माह की रोक को एक माह के लिए बढ़ा दिया गया है, इसी तरह मामले में याचिकाकर्ता नीतिन सिंघवी दिल्ली सुप्रीमकोर्ट में समान मामले में हस्तक्षेप याचिका पेश करने कहा है।

हाईकोर्ट महाधिवक्ता सतीशचन्द्र वर्मा ने कहा कि नितिन सिंघवी की याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए प्रकरण को सामाप्त कर दिया है, वहीं सुप्रीमकोर्ट में 26 नवंबर से सम्पूर्ण मामले में सुनवाई होनी है साथ ही कोर्ट ने पट्टा वितरण पर लगाईं दो महीने की रोक को एक महीने के लिए और बढ़ा दिया है, इस समयावधि के उपरान्त सुप्रीमकोर्ट के फैसले के अनुसार आगे की कार्यवाही होगी।

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