छत्तीसगढ़

सीएम भूपेश बघेल अपने से 16 साल छोटे मंत्री के सामने बैठे जमीन पर और युवा मंत्री कुर्सी पर, आखिर क्यों जानें मामला – cgtop36.com


छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जमीन पर बैठे हुए हैं, उनके सामने कुर्सी पर बैठे हैं उनके ही कैबिनेट मंत्री गुरुरूद्र कुमार, जो की पद के साथ उम्र में भी सीएम बघेल से काफी छोटे हैं। तस्वीर को देखकर आप सोच रहे होंगे कि ऐसी क्या वजह है, जो छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल अपने से 16 साल छोटे केवल 44 वर्ष के मंत्री को इतना सम्मान देते हैं? तो आइये हम आपको इसकी वजह बताते हैं।

गुरुरूद्र कुमार छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार में पीएचई मंत्री हैं। वह 2018 के चुनाव में दुर्ग की अहिवारा विधानसभा से कांगेस के विधायक चुने गए थे। दरअसल उनके नाम के आगे गुरु इसलिए लगा हुआ है,क्योंकि वह एससी वर्ग की अगुवाई करने वाले सतनामी समाज के गुरु हैं। छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहां सतनामी समाज का बड़ा वोट बैंक है। माना जाता है कि इस समाज की राज्य में करीब 14 से 16 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।

दरअसल गुरुरूद्र कुमार सतनामी समुदाय के धर्मगुरु हैं। उनके पिता गुरु विजकुमार सतनामी पंथ के संस्थापक गुरु घासीदास जी के परपोते ( पांचवी पीढ़ी के वंशज) हैं और गुरुघासीदास की जन्मभूमि गिरौदपुरी धाम में गुरुगद्दी पर विराजमान हैं। सतनामी समुदाय में इस परिवार का बहुत ही अधिक मान सम्मान है और वह विजयकुमार और उनके पुत्र रूद्रकुमार को जगतगुरु का सम्बोधन देते हैं।

छत्तीसगढ़ के गिरौदपुरी को सतनामी पंथ के संस्थापक, महान समाज सुधारक और संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास का जन्मस्थान माना जाता है। एससी वर्ग के लोग गुरु घासीदास को देवतुल्य मानते हैं। घासीदास बाबा ने सनातन धर्म में सभी वर्गों को एक समान स्थान देने के लिए “मनखे मनखे एक समान” का नारा दिया था, जिसका मतलब सभी जाति-वर्ग को एक समान मानना है।

सतनामी समाज के लोग बाबा गुरु घासीदास की पूजा करते हैं और गिरौदपुरी धाम में बाबा गुरु घासीदास के अनुयायी गुरुगद्दी पर माथा टेककर उनका आशीर्वाद लेते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार के कैबिनेट मंत्री गुरु रुद्रकुमार भी गुरुगद्दी की अगुवाई करने वाले परिवार से आते हैं। इसलिए उन्हें भी समाज के लोग बेहद आदर सम्मान देते हैं। देश दुनिया में लाखों की संख्या में श्रद्धालु सालभर गुरुगद्दी और अपने गुरुओं के दर्शन करने छत्तीसगढ़ पहुंचते हैं।

गुरुरूद्र कुमार शुरुवाती समय से ही कांग्रेस परिवार से जुड़े रहे हैं। वर्ष 2008 में कांग्रेस ने उन्हें पहली बार एससी बाहुल्य रायपुर की आरंग विधानसभा से टिकट दिया था। इस चुनाव में वह जीत गए थे। 2013 में उन्हें एक बार फिर टिकट मिला, लेकिन वह मोदी लहर के बीच भाजपा के युवा नेता नवीन मार्कण्डेय से चुनाव हार गए। 2018 में कांग्रेस ने उन्हें एससी वर्ग के लिए ही रिजर्व दुर्ग की अहिवारा सीट से चुनावी मैदान में उतारा। जहां उन्होंने शानदार जीत दर्ज की और भूपेश कैबिनेट में पीएचई मंत्री बने। गुरुरूद्र कुमार की उम्र केवल 44 वर्ष है। वह युवा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।



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