छत्तीसगढ़

स्मृति शेष – कुछ यूं जुड़ी है छत्तीसगढ़ से राजीव गांधी की यादें, सहर्ष खाया था तेन्दुफल

गरियाबंद का मतलब है पहाड़ों से घिरा हुआ, इन्ही पहाड़ों की गोद में बसा हुआ है, ग्राम पंचायत कुल्हाड़ी घाट। आदिवासी बहुल गांव में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी 34 वर्ष पूर्व 14 जुलाई 1985 में यहां पहुंचे थे।

उन्होंने इस गांव में आदिवासी परिवारों के साथ वक्त बिताया था और बल्दी बाई के घर में गए थे। उस समय को बल्दी बाई आज भी जब याद करती है तब उनके चेहरे में नई चमक आ जाती है।

वे बताती हैं कि भोजन के बाद राजीव जी को आदिवासियों के परम्परागत रूप से निर्मित बांस के हस्त शिल्प और कंदमूल भेंट किया था, उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। स्वर्गीय राजीव गांधी की धर्मपत्नी सोनिया गांधी भी इस दौरे में उनके साथ थीं।   

खाया था तेन्दुफल   

बल्दी बाई को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की स्मृतियां आज भी ताजी है। वे बताती हैं कि राजीव जी ने बड़ी विनम्रता के साथ घर में बैठकर तेन्दूफल खाया था और आदिवासियों के रहन-सहन और तीज त्यौहारों के बारे में जानकारी ली। गरियाबंद जिले में उनके इस संक्षिप्त प्रवास की स्मृति कुल्हाड़ी घाट के निवासियों को आज भी याद है।

बल्दी बाई ने बताया कि उन्हें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत 650 रूपए की राशि मिलती है। अंत्योदय राशन कार्ड भी बना है, घर में पशु के लिए शेड भी बनाया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना में नया आवास भी मिला है। घर में शौचालय भी बनाया गया है। इसी तरह परिवार के अन्य सदस्यों को भी विभिन्न योजनाओं में लाभान्वित किया गया है।      

कुल्हाड़ी घाट ग्राम पंचायत में 11 आश्रित गांव हैं। यहां की कुल आबादी 1476 है। यहां मुख्य रूप कमार जनजाति निवास करती है। जिन्हें विशेष पिछड़ी जनजाति में शामिल किया गया है। प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद कुल्हाड़ी घाट की किस्मत ने एक बार फिर तरक्की की राह पकड़ ली है।

यहां के निवासियों को बेहतर जीवन देने के लिए जिला प्रशासन द्वारा कई कार्य हाथ में लिए गए हैं। यहां आदिवासी परिवारों को समय पर राशन सामग्री दिलाने के लिए उचित मूल्य दुकान से राशन प्रारंभ किया गया है, इसके माध्यम से लगातार इन्हें राशन एवं अन्य सामग्री मिल रही है। गांव में अशक्त, निराश्रित और विधवा महिलाओं को विभिन्न पेंशन योजनाओं से लाभान्वित किया जा रहा है। कमार विकास योजना में कई तरह की सुविधाएं भी दी जा रही हैं।   

किसानों की माली हालत सुधारने के लिए यहां सुराजी गांव योजना के जरिए भी पहल की जा रही है। यहां माडल गौठान के अलावा चारागाह भी विकसित किया जा रहा है। गांव में कुपोषण में कमी लाने के लिए महिलाओं और बच्चों को गरम भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। महिलाओं और बच्चों के टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच तथा सुरक्षित प्रसव के इंतजाम किए गए हैं। यहां वनवासियों की इनकम बढ़ाने के लिए खेती किसानी कार्य से जोड़ा जा रहा है। यहां भूमि सुधार के 290 कार्य कराए गए हैं।

सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान में यहां के हर घर में शौचालयों का निर्माण कराया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना में स्वीकृत 85 आवासों में 72 और कमार विकास योजना में 28 आवास पूर्ण कर लिए गए हैं। आदिवासी परिवारों को पशुपालन से जोड़ने के लिए पशु शेड बनाए गए हैं। गांव में 216 लोगों को विभिन्न पेंशन योजनाओं में लाभान्वित किया जा रहा है।        

यहां विभिन्न योजनाओं में अधोसंरचना विकास के भी कार्य स्वीकृत किए गए हैं। यहां क्रेडा द्वारा किसानों को सिंचाई सुविधा देने के लिए सौर सामुदायिक सिंचाई योजना संचालित की जा रही है। इस योजना से 49 किसानों की 60 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा मिल रही है। ग्रामीणों को रोजगार दिलाने के लिए मनरेगा के तहत इस वित्तीय वर्ष 322 काम स्वीकृत किए गए है। इनके माध्यम से वन अधिकार मान्यता पत्र के जरिए मिली भूमि का उपचार, बाजारों को व्यवस्थित करने शेड़, पुलिया, आंगन बाड़ी और सड़क निर्माण के कार्य शामिल हैं।        

विद्युत की दिक्कत को दूर करने के लिए पंचायत के आश्रित गांवों में सोलर विद्युत की व्यवस्था की गई है। शुद्ध पेयजल के लिए यहां 16 हैंडपम्प स्थापित किए गए हैं। ग्राम कठवा में एक वाटर ए.टी.एम. भी स्थापित किया गया है यहां नल जल योजना भी संचालित की जा रही है। ग्राम पंचायत में 471 वनवासियों को वनअधिकार मान्यता पत्र वितरित किए गए हैं। यहां जैविक खेती को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। 

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