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एनएमडीसी ने छत्तीसगढ के दंतेवाडा जिले को हराभरा बनाने में की नायब पहल

फल धारण करने वाले पेडों की 50,000 सैपलिंग 25 गांवों में लगायी जाएंगी

एनएमडीसी ने दंतेवाडा जिला, छत्तीसगढ में लगभग 650 जनजातीय किसानों के लिए 50 प्रशिक्षण सत्र पूर्ण करने के बाद फल धारण करने वाले पेडों के पौधारोपण में ग्रामीणों की सहायता की। देवती कर्मा, एमएलए, दंतेवाडा अलनार गांव में सैपलिंग के वितरण तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम के अवसर पर उपस्थित रहीं। उन्होंने किसानों को उनकी भाषा -हल्वी- में प्रेरित करते हुए अन्य कृषकों एवं स्वयं का उदाहरण दिया जो फलों की बिक्री से अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। किसानों ने उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुना। देवती कर्मा ने एनएमडीसी की सीएसआर टीम के प्रयासों बहुत सराहना की।

जनजातीय समुदाय के जीवन स्तर में प्रगति लाने के प्रयास में एनएमडीसी ने आय अर्जन / टिकाऊ जीवनयापन के लिए अनेक बहु उद्देशीय कार्यनीतियां अपनायी हैं। इस दिशा में अनेक प्रयासों में से एक दंतेवाडा जिला प्रशासन के साथ मिलकर 25 ग्रामों ( बेनपाल, पेडापुर, पिना बचेली, डुगेली , बडे कमेली, नरली, भांसी, धुर्ली, गमावाडा आदि) में फल की उपज वाले पेडों की 50,000 सैपलिंग लगाने का मिशन है।

एनएमडीसी के इस प्रयास में सहायता करने के लिए जिला प्रशासन बागवानी विभाग से फल धारण करने वाले पेडों की 38000 सैपलिंग निशुल्क प्रदान करेगा तथा शेष सैपलिंग एनएमडीसी, बचेली द्वारा अपने सीएसआर निधि से खरीदी जा रही हैं। जिला कलेक्टर, सीईओ- जिला पंचायत तथा जिले के संयुक्त कलेकटर जनजातीय समुदाय के जीवन स्तर में उत्थान के कार्य को समर्थन दे रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य अमरूद, कटहल, नीबू, अनार, चीकू, लीची, मोरिंगा, पपीता, नारियल, काजू आदि फलों के बगीचे लगाना है जिससे प्रति एकड आय में 10-15 गुणा वृद्धि हो सकेगी और ग्रामीणों की आमदनी बढेगी।

इस संबंध में कृषकों के लिए 50 प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए गए थे। राज्य बागवानी विभाग के विषेशज्ञों तथा एनएमडीसी की सीएसआर टीम ने 650 कृषकों को प्रशिक्षण प्रदान किया। प्रशिक्षण के दौरान मृदा तथा जलवायु परिस्थिति, सैपलिंग के बीच रखे जाने वाके फासले, गड्ढे बनाने, इनमें डाले जाने वाली ऑर्गेनिक खाद की गुणवत्ता एवं मात्रा , बरती जाने वाली सावधानियों आदि के बारे में जानकारी दी गयी। यह कार्य प्रतिभागियों को मॉस्क वितरित करने के बाद, सैनिटाइजेसन के नियमों का पालन करते हुए तथा शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए किया गया।

प्रशिक्षण 09 से 20 जून 2020 तक दिया गया, सैपलिंग लगाने तथा गढ्ढों में ऑर्गेनिक खाद भरने का कार्य 10 से 25 जून तक किया गया। सैपलिंग बांटने तथा उनके रोपण का कार्य 29 जून 2020 से प्रारम्भ किया गया। फल धारण करने वाले पेडों की 50,000 सैपलिंग को 25 गांवों में लगाने का कार्य जुलाई 2020 में पूर्ण कर लिया जाएगा।

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