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Masik Durga Ashtami 2024: आज है मासिक दुर्गाष्टमी, जानिए शुभ मुहूर्त पूजा विधि और मंत्र, आज करें मां की पुजा

Masik Durga Ashtami 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाया जाता है. इस बार ज्येष्ठ माह में मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत 14 जून 2024 को रखा जाएगा. इस दिन विशेष रूप से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है. मासिक दुर्गाष्टमी देवी दुर्गा की भक्ति और आराधना का पावन पर्व है. मान्यता है कि इस दिन देवी दुर्गा की पूजा करने से भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. साथ ही मां अंबे की कृपा प्राप्त होती है।

मासिक दुर्गा अष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 13 जून 2024 को रात 8 बजकर 03 मिनट से और इस तिथि का समापन 14 जून 2024 को रात 10 बजकर 33 मिनट पर होगा. ऐसे में मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत 14 जून 2024 को रखा जाएगा.

मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा विधि

मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. उसके बाद पूजा स्थान को स्वच्छ करें और देवी दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. देवी दुर्गा को फल, फूल, मिठाई और नैवेद्य अर्पित करें. फिर देवी दुर्गा का ध्यान करें और मंत्रों का जाप करें. धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं. देवी दुर्गा की आरती गाएं. दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा या देवी दुर्गा के अन्य स्तोत्रों का पाठ अवश्य करें. व्रत रखें और पूरे दिन फलाहार करें. रात में देवी दुर्गा की कथा सुनें. अगले दिन सुबह व्रत का पारण करें.

मासिक दुर्गाष्टमी का महत्व

मासिक दुर्गाष्टमी के दिन देवी दुर्गा की पूजा करने से उनकी शक्ति का आह्वान होता है. देवी दुर्गा को शक्ति, साहस, विजय और समृद्धि की देवी माना जाता है. माना जाता है कि इस दिन देवी दुर्गा की सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही इस दिन व्रत रखने और देवी दुर्गा की पूजा करने से जीवन के कष्टों और बाधाओं का नाश होता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है.

मासिक दुर्गाष्टमी मंत्र

हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥

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