मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में देश की अपनी तरह की अनूठी ’गोधन न्याय योजना’ छत्तीसगढ़ में हरेली पर्व से 20 जुलाई को प्रारंभ हो रही है। पशुपालकों से गोबर खरीदी की इस महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन के संबंध में राज्य शासन के कृषि विकास, किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश सभी संभागायुक्तों, जिला कलेक्टरों, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों, नगर निगम के कमिश्नरों, नगर पालिका और नगर पंचायतों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को जारी कर दिए गए हैं।
गोबर के क्रय और भुगतान की प्रक्रिया, वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए स्व सहायता समूहों के प्रशिक्षण, वर्मी कम्पोस्ट टांका निर्माण, गौठानों में गोबर प्रसंस्करण, वर्मी कम्पोस्ट की पैकेजिंग, वर्मी कम्पोस्ट के विपणन के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। योजना के संचालन एवं क्रियान्वयन का सम्पूर्ण दायित्व जिला कलेक्टरों का होगा।
गोधन न्याय योजना ग्रामीण क्षेत्र में बनाए गए 2408 गौठान और शहरी क्षेत्र के 377 गौठानों में संचालित की जाएगी। योजना से पशुपालकों की आय में वृद्धि और पशुधन विचरण एवं खुली चराई पर रोक लगेगी। जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा एवं रासायनिक उर्वरक उपयोग में कमी आएगी। खरीफ एवं रबी फसल सुरक्षा एवं द्विफसलीय क्षेत्र विस्तार होगा। स्थानीय स्तर पर जैविक खाद की उपलब्धता होगी। स्थानीय स्व सहायता समूहों को रोजगार भी मिलेगा। भूमि की उर्वरता में सुधार, विष रहित खाद्य पदार्थो की उपलब्धता एवं सुपोषण के स्तर में सुधार होगा।
नवीन गौठानों की स्थापना के साथ होगा योजना का विस्तार
गोधन न्याय योजना का कार्यक्षेत्र संपूर्ण प्रदेश आगामी वर्षो में नवीन गौठानों की स्थापना के साथ-साथ आवश्यकता अनुसार योजना का विस्तार किया जाएगा। गोबर का क्रय एवं भुगतान की प्रक्रिया के अनुसार गौठान समितियों द्वारा उसी पंचायत का गोबर क्रय किया जा सकेगा। गौठान समिति गोबर खरीदी के लिए समय का निर्धारण किया जाएगा। गौठान में गोवंशीय एवं भैंसवंशीय पशुपालक से गोबर का क्रय शासन द्वारा निर्धारित दर से किया जाएगा। वर्तमान में शासन द्वारा 2 रूपए किलोग्राम (परिवहन व्यय सहित) की दर निर्धारित की गई है। पशुपालक गोबर का विक्रय स्वैच्छिक रूप से कर सकेंगे। गोबर की गुणवत्ता हाथ में उठाये जाने लायक अर्धठोस प्रकृति की होगी। गोबर में कांच, मिट्टी, प्लास्टिक इत्यादि नही होना चाहिए।
गौठान समिति द्वारा पशुपालकों से क्रय किए जा रहे गोबर का लेखा विवरण दो प्रतियों में रखा जाएगा। गोबर क्रय पत्रक का नमूना निर्धारित किया गया है। गोबर क्रय पत्रक में पशुपालक का हस्ताक्षर अनिवार्य रूप से लिया जाएगा। हितग्राहियों से गोबर ही लिया जाएगा, गोबर के कोई उत्पाद यथा कंडा इत्यादि नहीं लिया जाएगा। बायोमॉस (जैविक अपशिष्ट) स्वेच्छा से गौठानों में प्रदाय किया जा सकता है, परंतु इसके लिए कोई भी राशि देय नहीं होगी।
गौठान में रहने वाले पशुओं द्वारा उत्सर्जित गोबर गौठान के स्वत्व में होगा, उसके लिए पशुपालक को पृथक से राशि देय नहीं होगी। गौठान में पशुओं हेतु यथासंभव हरा चारा की आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। क्रय उपरांत गोबर को संग्रहित कर गौठान में सामान्यतः अंदरूनी क्षेत्र में निर्मित सीपीटी में रखा जाएगा तथा 15 से 20 दिन के उपरांत वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने में उपयोग किया जाएगा। क्रय किए गए गोबर की राशि का भुगतान प्रत्येक 15 दिवस में गौठान समिति द्वारा हितग्राहियों को किया जाएगा। गोबर के भार मापन हेतु कैलिबरेटेड फर्मा, तराजू का उपयोग किया जाएगा। गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन के किसी भी प्रक्रिया अथवा चरण में 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति, सदस्य को शामिल नहीं किया जाएगा। गौठान में वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन हेतु स्व सहायता समूह का चिन्हांकन, चयन अनिवार्य रूप से तत्काल करने के निर्देश दिए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्र में चरवाहा स्व-सहायता समूह के अभिन्न अंग होगे। यह कार्य कलेक्टर के नेतृत्व में ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत एवं शहरी क्षेत्रों में आयुक्त, मुख्य नगरपालिका अधिकारी, नगरीय निकाय की निगरानी में किया जाएगा।
समूहों के प्रशिक्षण के लिए तैनात होंगे नोडल अधिकारी
वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने हेतु प्रशिक्षण के संबंध में जारी निर्देशो के अनुसार कलेक्टर द्वारा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक गौठान के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए चिन्हांकित स्व-सहायता समूह को दो चक्रों में विस्तृत प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र तथा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। समस्त गौठानों में वर्मीकम्पोस्ट निर्माण के लिए पूर्व प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित सुनिश्चित किया जाएगा। समस्त गौठानों में समयावधि में प्रशिक्षण कार्य पूर्ण कराने का दायित्व कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, उप संचालक कृषि, उप संचालक पशु चिकित्सा को होगा। शहरी क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्य राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन अंतर्गत संपादित किया जाएगा।
वर्मी कम्पोस्ट टांका निर्माण- प्रत्येक गौठान में गोबर की उपलब्धता के अनुसार वर्मी टांका बनाया जाएगा। वर्मी टांका का निर्माण मनरेगा के माध्यम से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा द्वारा किया जाएगा। नगरीय क्षेत्र में वर्मी टांका का निर्माण संबंधित नगरीय निकायों द्वारा किया जाएगा। जिलावार भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए वर्मी टांका निर्धारित मापदण्ड के अनुसार बनाया जाएगा, ताकि कंेचुआ की जीवितता प्रभावित न हो, साथ ही वर्मी वॉश इत्यादि का एकत्रीकरण हो सके। वर्मी टांका 3.6मी.ग 1.5मी. ग 0.75मी. साईज का मनरेगा प्राक्कलन के अनुसार एवं पशुओं से प्राप्त हो रहे गोबर की मात्रा के आवश्यकता अनुसार किया जाएगा।
स्व सहायता समूह द्वारा गौठान में संग्रहित, एकत्रित गोबर से प्राथमिक रूप से वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जाएगा। स्थानीय मांग एवं आवश्यकतानुसार अन्य उत्पाद भी तैयार किए जा सकेंगे। उप संचालक कृषि अथवा मैदानी अमलों के निगरानी में तकनीकी मापदण्ड अनुसार चिन्हांकित स्व सहायता समूह के द्वारा गोबर, केचुआ एवं जैविक अवशेष आदि का वर्मी टांका में भराई की जाएगी। वर्मी टांका में 15-20 दिन का अपघटित गोबर का ही उपयोग किया जाएगा, ताकि गोबर से उत्पन्न होने वाली उष्मा एवं मिथेन गैस से केंचुआ पर विपरीत प्रभाव न पड़े।