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Chandrayan 2 : लैंडर विक्रम का दूसरा डी-ऑर्बिटल ऑपरेशन हुवा पूरा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के दूसरे डी-ऑर्बिटल ऑपरेशन के बुधवार को सफलतापूर्वक होते ही भारत का पहला मून लैंडर विक्रम सात सितंबर को चांद पर उतरने के लिए तैयार है।भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अनुसार, विक्रम का दूसरा डी-ऑर्बिटल ऑपरेशन बुधवार तड़के 3.42 बजे ऑनबोर्ड संचालन तंत्र का उपयोग करते हुए शुरू हुआ और नौ सेकेंड में पूरा हो गया।

विक्रम लैंडर की कक्षा 35 किलोमीटर गुणा 101 किलोमीटर की है। इसरो ने कहा कि इस ऑपरेशन के साथ ही विक्रम के चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए आवश्यक कक्षा प्राप्त कर ली गई है। इसरो के अनुसार, विक्रम चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सात सितंबर को तड़के 1.30 बजे से 2.30 बजे के बीच उतरेगा।

विक्रम के चांद पर उतरते ही रोवर प्रज्ञान उसमें से निकल आएगा और अनुसंधान शुरू कर देगा, जिसके लिए उसे बनाया गया है। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर अपनी 96 किलोमीटर गुणा 125 किलोमीटर की मौैजूदा कक्षा में चांद के चारों तरफ घूम रहा है और दोनों- ऑर्बिटर और लैंडर सही काम कर रहे हैं।

सोमवार दोपहर को विक्रम अपने मातृ-अंतरिक्ष यान चंद्रयान-2 से अलग हो गया था। भारत द्वारा कुल 978 करोड़ रुपये की परियोजना के तहत चंद्रयान-2 को भारी रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क तृतीय (जीएसएलवी-एमके तृतीय) द्वारा 22 जुलाई को लॉन्च किया गया था।

छह और सात की रात को चांद पर उतरना शुरू करेगा चंद्रयान

छह एवं सात सितंबर को मध्य रात्रि के बाद 1:30 से 1.40 बजे के बीच विक्रम लैंडर 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा। तब इसकी गति 200 मीटर प्रति सेकंड होगी। यह इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा। देर रात 1:55 बजे विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा। करीब 6 किमी की ऊंचाई से लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा और इसबीच 15 मिनट बेहद तनावपूर्ण होंगे।

लैंडिंग से दो घंटे पहले खुलेगा विक्रम लैंडर

लैंडिंग के करीब दो घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा और इसी के जरिए छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा। सात सितंबर को सुबह 5.10 बजे प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चलना शुरू करेगा। वह एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर 14 दिनों तक यात्रा करेगा। इस दौरान वह 500 मीटर की दूरी तय करेगा।
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद से 100 किमी ऊपर चक्कर लगाते हुए लैंडर और रोवर से प्राप्त जानकारी को इसरो सेंटर पर भेजेगा। इसमें आठ पेलोड हैं और इसके साथ ही इसरो से भेजे गए कमांड को लैंडर और रोवर तक पहुंचाएगा।

लैंडर का नाम जानें किसके नाम पर रखा गया है

लैंडर का नाम इसरो के संस्थापक और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। इसमें चार पेलोड हैं। यह 15 दिनों तक वैज्ञानिक प्रयोग करेगा, इसकी शुरुआती डिजाइन इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद ने बनाया था। बाद में इसे बेंगलुरु के यूआरएससी ने विकसित किया।

जानें क्या हुआ अभी तक

इससे पहले रविवार को अंतरिक्ष यान ने चन्द्रमा की पांचवी और अंतिम कक्षा में प्रवेश कर लिया था जिसके बाद आज लैंडर ‘विक्रम’ ऑर्बिटर से अलग हो गया। भारत के राष्ट्रीय ध्वज को लेकर जा रहा चंद्रचान-2 सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’करेगा तथा और उस दौरान प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 5० मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा।

इस मिशन में चंद्रयान-2 के साथ कुल 13 स्वदेशी मुखास्त्र यानी वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, राडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की सटीक दूरी का पता लगाना है।

इसरो ने कहा कि इस अभियान के जरिये हमें चंद्रमा के बारे में और अधिक जानकारी मिल सकेगी। वहां मौजूद खनिजों के बारे में भी इस मिशन से पता लगने की उम्मीद है। चंद्रमा पर पानी की उपलब्धता और उसकी रासायनिक संरचना के बारे में भी पता चल सकेगा।इस अभियान पर लगभग 1000 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह अन्य देशों द्वारा संचालित ऐसे अभियान की तुलना में काफी कम है। यदि यह अभियान सफल रहता है तो भारत, रूस, अमेरिका और चीन के बाद चांद की सतह पर रोवर उतराने वाला चौथा देश बना जायेगा। इस वर्ष की शुरुआत में इजरायल का चंद्रमा पर उतरने का प्रयास विफल रहा था।

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