अभनपुर। राजधानी और उसके आसपास इलाकों में लोगों ने अवैध कब्जे को अपना धंधा बना लिया है। कोई धार्मिक संस्थान के नाम पर अवैध कब्ज़ा किया हुआ है तो कोई प्लाटिंग के नाम पर। अभनपुर में भी इसी प्रकार से धर्म के नाम पर सरकारी स्कूल की जमीन पर लोक निर्माण विभाग अभनपुर के पूर्व एसडीओ कब्ज़ा किये हुए है। जहां पर वे ट्रस्ट बनाकर मंदिर के आड़ में दुकान बना लिया है। जिसे किराए पर देकर लाखों रुपए वसूल रहे है, और उन पैसों को ब्याज में चला रहे है। ब्जाज के पैसों से नेताओं और अधिकारियों को मालामाल कर रहे हैं। जिससे सबका मुंह बंद है। काफी दिनों पहले ब्याज को लेकर ट्रस्टी और सदस्यों में विवाद हुआ जो थानेे तक पहुंच गया। मामला आया गया हो गया। नेता जी के हस्तक्षेप से मामला दब गया। क्षेत्र के लोग शिकायत करते भी हैं तो कोई सुनने वाला नहीं है।
उक्त अवैध कब्जाधारी अभनपुर लोकनिर्माण विभाग के पूर्व एसडीओ को नेताओं और अधिकारियों की वरहदस्त प्राप्त है। तभी तो एसडीएम, तहसीलदार, जनपद पंचायत के अध्यक्ष व सीईओ, नगर पंचायत के अध्यक्ष व सीएमओ, थानेदार सहित कई उच्च अधिकारी रोजाना रेस्ट हाऊस के सामने से गुजरते हैं, लेकिन उनको मंदिर के आड़ में व्यावसायिक काम्प्लेक्स नजऱ नहीं आता। अभनपुर के लोगों से मिलने पर बताया कि अधिकारियों और नेताओं के संरक्षण में ये सब चल रहा है। ये अवैध कब्जाधारी उनके शह पर ही कहीं भी सरकारी जमीन दिखे अवैध कब्ज़ा करने में देर नहीं करते। यही हाल राजधानी रायपुर में भी है। यहां भी शहर के नामचिन बिल्डर की अवैध कब्जों की लंबी फेहरिस्त है लेकिन अतिक्रमणकारियों के आगे प्रशासन लाचार दिख रहा होता है। क्योंकि अवैध कब्ज़ा रसूखदारों की होती है। स्टेशन से शहर के आखरी कोने तक अधिकतर जगहों पर सरकारी जमीन हथिया लिया गया है। सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा का खामियाजा शहर भुगत रहा है। लेकिन अधिकारी अतिक्रमण हटाने की दिशा में अब तक कोई ठोस पहल नहीं करते सिर्फ नाममात्र की कार्रवाई कर मामला फिर ठन्डे बस्ते में डाल देते हैं।
अतिक्रमणकारियों के आगे विभाग लाचार अतिक्रमण करने वालों के आगे सरकारी विभाग पूरी तरह असहाय नजऱ आते हैं। क्योंकि भू-माफिया और अधिकारियों की मिली भगत या ज्वाइंट सिंडिकेट के माध्यम से कोटवारी और घास जमीन की जानकारी मिलते ही धड़ाधड़ अवैध कब्जे की शुरूआत कर देते है।
छुटभैया नेता अफसरों से सांठगांठ कर घास भूमि और कोटवारी की जमीन की जानकारी निकलवाते है। फिर कूटरचना दस्तावेज बनाकर झुग्गी बसाते है और जब पट्टा मिल जाता है, तब उसे हथिया लेते है। अधिकतर सरकारी दफ्तरों के सामने अवैध कब्जे साफ तौर पर देखा जा सकता है क्या यही स्मार्ट सिटी की पहचान है। सरकारी विभागों के सामने से कब्जा हटाने के लिए विभाग के कर्मियों द्वारा पहल भी की जाती है लेकिन अतिक्रमणकारी दुकानदारों पर कोई असर नहीं पडता, बल्कि यह कहकर लौटा दिया जाता है कि उक्त जमीन हमने आवंटित कराया है। अतिक्रमण के कारण आम जनता को आवागमन की परेशानी बढ़ जाती है।
शहर की सरकारी जमीन पर बढ़ रहा अवैध कब्जा पिछले दस से पंद्रह सालों में शहर की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा जमाने का सिलसिला तेजी से हुआ है।
यह सब कुछ प्रशासनिक उदासीनता के कारण हुआ है। लोगों ने इन सरकारी जमीनों को निजी बताकर भोले-भाले लोगों को बेचकर उनकी जीवन भर की कमाई भी डकार लिए हैं। हालांकि नगर निगम रायपुर द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ मुहिम भी चलाई थी लेकिन कुछ दिन चलने के बाद ठन्डे बस्ते में चली गई। लोगों ने छुटभैये नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर लिए हैं । कुछ लोग सरकारी जमीन पर झोपड़ी और दुकानदारी कर रहे है। हालात यह है कि कुछ जगह धर्म के नाम पर जमीन हथियाया लिया गया है। वैसे अतिक्रमण को हटाने में प्रशासन हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। मुख्य सड़कें लोगों की लाइफ लाइन होती है लेकिन अवैध कब्जाधारियों ने लाइफ लाइन ही बिगाड़ दी है। व्यापारियों ने सड़कों पर कब्ज़ा जमाया हुआ है लोगों को चलने में काफी परेशानी होती है। शाम के वक्त तो मालवीय रोड, एमजी रोड, सदरबाजार, बैजनाथपारा और भीड़भाड़ वाले इलाके में जाने के लिए हजारों बार सोचना पड़ता है। अधिकतर जगहों की मुख्य सड़क अतिक्रमण की चपेट में होती हैं। जमीन के गोरखधंधे में संलिप्त रसूखदारों व माफियाओं को सत्ता-संरक्षण हासिल भी होती है। जिससे वे बिंदास होकर अपना अवैध कारोबार को अंजाम देते है। रिहायशी इलाकों समेत आऊटर में भू-माफिय़ाओं व राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर हो रही अवैध प्लाटिंग को लेकर जनता काफी परेशान है। ज़मीन के इस गोरखधंधे में संलिप्त रसूखदारों को सत्ता-संरक्षण दिए जाने का आरोप लोगो ने लगाया है।
भू-माफिय़ाओं की सक्रियता के उदाहरण पूरे प्रदेश से लगातार सामने आ रहे हैं। प्रदेश में सत्ता-संरक्षण हासिल कर जमीन के गोरखधंधे के फैलाव का अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि रायपुर समेत अंबिकापुर, बिलासपुर और जगदलपुर तक ज़मीन माफिय़ा सक्रिय हैं। उनके मामलों में नियमों की पूरी तरह अनदेखी की गई है। इस शहर के आसपास के इलाकों में अवैध प्लाटिंग कर शासन और कॉलोनी लाइसेंस के नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। निगम क्षेत्र समेत आऊटर में क़ायदे-क़ानून को ताक पर रखकर रोज करोड़ों रुपए के सौदे करके ज़मीनों की खरीद-बिक्री चल रही है और अनेक मामलों में तो कृषि भूमि का डायवर्सन कराए बिना ही उसे आवासीय उपयोग के लिए बेचने का खेल भू-माफिया कर रहे हैं।