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सावन में कीजिये शिव जी के 5 विशेष मंदिरों के दर्शन, दर्शन मात्र से मिलते हैं शुभ फल

उत्तराखंड को देवों की भूमि देवभूमि के नाम से पुकारा जाता है. जहां के मंदिर अपने आप में एक रहस्य हैं। सावन माह के इस शुभ अवसर पर आपको यहां के में बताते हैं जिनके दर्शन मात्र से ही अनेकों पुण्य मिल जाते हैं –

बैजनाथ मंदिर

भगवान शिव के प्राचीन मंदिरों में से एक है बैजनाथ मंदिर जो गोमती नदी के तट पर स्थित है. स्थानीय लोगों का मानना है कि, जो भी भक्त सच्चे मन से यहां भगवान का आर्शीवाद लेने आता है उसकी मुरादें जरूरी पूरी होती हैं। कहते हैं कि मंदिर का निर्माण 1204 ईस्वी में हुआ था. जब आप इस मंदिर में दर्शन करने आएंगे तो यकीनन आपको यहां मंदिरों की दीवारों पर सुंदर नक्काशी काफी आकर्षित करेगी।

रुद्रनाथ मंदिर

पंच केदार में शामिल भगवान शिव का रुद्रनाथ मंदिर पौड़ी गढ़वाल के चमोली जिले में है. जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 2220 मीटर है। आपको बता दें कि इस मंदिर में शिव के सिर्फ मुख की पूजा होती है और उनके पूरे धड़ की पूजा नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में होती है।

केदारनाथ मंदिर

देवभूमि में स्थित केदारनाथ मंदिर भगवान शिव का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है जो चारों ओर से बर्फीली पहाड़ियों से घिरा है. केदारनाथ मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इस मंदिर के कपाट सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं और गर्मियों में फिर से खोल दिए जाते हैं. इसी समय सभी भक्त भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं।

बालेश्वर मंदिर

बागेश्वर में स्थित बालेश्वर मंदिर बहुत ही प्राचीन माना जाता है. इस मंदिर को देखने से ही पता चलता है कि, मंदिर का निर्माण सालों पहले हुआ होगा। इस मंदिर की दीवारों पर जो नक्काशी, वास्तुकला और शिलालेख है. उसके मुताबिक, मंदिर का निर्माण 1272 में हुआ था. मंदिर में शिव के एक नहीं बल्कि कई सारे शिवलिंग है. सावन में इन मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ रहता है।

तुंगनाथ मंदिर

रूद्रप्रयाग जिले में स्थित भगवान शिव का तुंगनाथ मंदिर सबसे ज्यादा ऊंचाई पर है और पंच केदार में शामिल है. मंदिर जाने के लिए पहाड़ी रास्तों से गुजरना होता है और यहां से वाकई बहुत ही सुंदर दृश्य देखने को मिलते है। यहां आकर प्रकृति के करीब होने का अहसास होता है. इस मंदिर को लेकर ऐसी पौराणिक मान्यता है कि, इसी जगह और इसी मंदिर में पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा कर मंदिर निर्माण करवाया था।

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