राशिफल - अध्यात्म

Ramadan 2020: नहीं जानते होंगे आप रमज़ान के बारे में खास ये 10 बातें

रमज़ान के पाक महीने की शुरुआत इस साल 25 अप्रैल से होगी। इस दिन से पूरे 30 दिन हर मुसलमान रोज़े रखने की कोशिश करता है। रोज़े के दौरान सभी तय वक्त पर सुबह को सहरी और शाम को इफ्तार खाते हैं। सदियों से मुसलमान हर साल रमज़ान के पूरे एक महीने भूखे-प्यासे रहकर रोज़े रख रहे हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं, लेकिन सवाल है कि आखिर पूरे महीने बिना पानी और खाने के क्यों? यहां जानें इस सवाल का जवाब कि आखिर क्यों हर मुसलमान पूरे 30 दिनों तक भूखा रहता है।

क्यों रखे जाते हैं रोज़े?

इस्लाम धर्म के मुताबिक रमज़ान के महीने को नेकियों, आत्मनियंत्रण और खुद पर संयम रखने का महीना माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान रोज़े रख भूखे रहने से दुनियाभर के गरीब लोगों की भूख और दर्द को समझा जा सकता है, क्योंकि तेज़ी से आगे बढ़ते दौर में लोग नेकी और दूसरों के दुख-दर्द को भूलते जा रहे हैं। रमज़ान में इसी दर्द को महसूस किया जाता है। सिर्फ भूखे रहकर दूसरों के दर्द को समझने के अलावा इस महीने के रोज़े को कान, आंख, नाक और ज़ुबान का रोज़ा भी माना जाता है। मान्यता है कि रोज़े के दौरान ना बुरा सुना जाता है, ना बुरा देखा जाता है, ना बुरा अहसास किया जाता है और ना ही बुरा बोला जाता है। यह पूरा महीना आत्मनियंत्रण और खुद पर संयम रखने का महीना होता है।

जानें रमज़ान से जुड़ी खास बातें:

  1. रमज़ान के महीने के दौरान छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को छोड़कर मुसलमान समुदाय के लगभग सभी लोग रोज़े रखते हैं।
  2. रमज़ान का महीना पूरे 30 दिन का होता है और हर दिन रोज़ा रखा जाता है। मान्यता है कि इस महीने हर रोज़ कुरान पढ़ने से ज़्यादा सबाब मिलता है।
  3. इस महीने में शाम की इफ्तार का खास खाना खजूर होता है। इसके पीछे की मान्यता है कि पैगम्बर मोहम्मद ने अपने रोज़े भी खजूर खाकर खोले थे।
  4. रमज़ान के महीने को तीन भागों में बांटा जाता है। 10 दिन के पहले भाग को ‘रहमतों का दौर’ कहा जाता है। 10 दिन के दूसरे भाग को ‘माफी का दौर’ और आखिरी के 10 दिनों को ‘जहन्नुम से बचाने का दौर’ कहा जाता है।
  5. रमज़ान के महीने के एक दिन शब-ए-कद्र मनाई जाती है, जो कि इस बार 19 मई को है। इस दिन सभी मुस्लिम रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं।
  6. आपने देखा होगा कि रमज़ान की हर तस्वीर में फानूस ज़रूर होता है। इस फानूस यानी लालटेन की कहानी है कि रमज़ान के महीने में मिस्र के बाज़ारों में लोग बड़ी-बड़ी लालटेन लगाकर सड़कों को सजाते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि मिस्र के खलीफा का स्वागत राजधानी काहिरा में लालटेन लगा कर किया जाता है।
  7. रोज़े के दौरान मुसलमान खाने-पीने से दूर रहने के साथ-साथ, किसी भी तरह के मनोरंजन, अपशब्द, गुस्सा करने से भी परहेज़ करते हैं। इस दौरान कुरान पढ़कर और सेवा के जरिए अल्लाह को याद किया जाता है।
  8. रमज़ान को नेकियों का मौसम और मौसम-ए-बहार (बसंत) भी कहा जाता है।
  9. इस बार रमज़ान में 4 जुमे पड़ेंगे। रमज़ान का आखिरी जुमा 28 मई को होगा, जिसे अलविदा जुमा कहा जाता है।
  10. रोज़े की शुरुआत सुबह सूरज के निकलने से पहले के खाने से होती है जिसे ‘सहरी’ कहा जाता है और सूरज डूबने के बाद के खाने को ‘इफ्तार’ कहा जाता है।

Related Articles

Back to top button