हनुमान जयंती पर जानिए बजरंगबली के जीवन के कुछ ऐसे रहस्य जिन्हें नही जानते होंगे आप

हिंदू मान्यताओं के अनुसार बजरंग बली की आराधना करने से नकारात्मक शक्तियों से भी तुरंत छुटकारा मिलता है। हनुमान जयंती के मौके पर आज आपको बजरंगबली के जीवन के कुछ ऐसे रहस्य के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में कम लोग जानते है।
चिरंजीवियों में से एक हैं बजरंगबली
भगवान राम के भक्त हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि वह चिरंजीवी हैं। चिरंजीवी अर्थात अमरता का वर प्राप्त होना। जिन में से एक हनुमान जी भी हैए जिन्हें अमरता का वरदान मां सीता से प्राप्त हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि वर्तमान कलयुग के अंत तक वे इस धरती पर जीवित रहेंगे।
विवाहित होकर भी ब्रह्मचारी हैं हनुमानजी
बजरंगबली को ब्रह्मचारी भी कहा जाता है। लेकिन हनुमानजी विवाहित है और उनकी पत्नी भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब बजरंगबली सूर्य देव से शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो उन्होंने एक के बाद एक अनेक विद्याओं को शीघ्रता के साथ प्राप्त कर लिया लेकिन कुछ विद्या ऐसी थीं। जो केवल विवाहित होने के उपरांत ही सीखी जा सकती थीं। गुरु सूर्य देव की तेजस्वी पुत्री सुवर्चला से विवाह कर आगे की शिक्षा ग्रहण की थी।
रुद्र के ग्यारहवें अवतार
हनुमानजी को भगवान शिव के ग्यारहवें रूद्र अवतार माने जाते हैं। रामचरित्र मानस में भी इसका जिक्र है। पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान विष्णू ने धर्म की स्थापना और अपने पार्षदों जय.विजय को जन्मों से मुक्त करने के लिए राम अवतार लिया था। हनुमान जी असीमित शक्तिशाली हैं और अपने भक्तों पर सहज ही प्रसन्न हो जाते हैं।
माता दुर्गा के सेवक हनुमानजी
ऐसा कहा जाता है कि राम भक्त हनुमान माता जगदम्बा के सेवक हैं। हनुमानजी माता के आगे- आगे चलते हैं और भैरवजी उनके पीछे- पीछे। देशभर में माताज के जितने भी मंदिर है वहां उनके पास हनुमानजी और भैरवजी का मंदिर जरूर बना होता है।
हनुमानजी और राम के बीच का युद्ध
ऐसा भी कहा जाता है कि एक बार हनुमान जी ने अपने प्रभु श्रीराम के साथ युद्ध किया था। राम के गुरु विश्वामित्र किसी किसी बात को लेकर हनुमानजी से नाराज हो गए। उन्होंने राम को हनुमानजी को मारने की सजा देने को कहा। राम ने ऐसा किया। सजा के दौरान हनुमान जी राम नाम जपते रहे जिसके चलते उनके ऊपर प्रहार किए गए सारे शस्त्र विफल हो गए। ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी के पास कई तरह की शक्तियां थींए लेकिन फिर भी वे बगैर वरदानी शक्तियों के भी शक्तिशाली थे। अशोकवाटिका पर उन पर ब्रह्रास्त्र का प्रयोग बेअसर साबित हुआ था।