राशिफल - अध्यात्म

यहां आज भी मौजूद हैं रामायण के प्रमाण, जानकर हैरत में पड़ जायेंगे आप

दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। श्रीलंका  में आज भी रामायण काल के कई निशान मौजूद है। जिसमें रावण वध से लेकर रामायण काल की गुफा और सुंरग के प्रमाण है।

दशहरे को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। दशहरे के त्योहार पर रावण, कुभकर्ण और मेघनाद का पुतला बनाकर उन्हें फूंका जाता है तो

आज हम जानेंगे कि किन किन जगहों पर मौजूद है रामायण काल के प्रमाण –

रावण का वध

श्री लंका के सिन्हाला शहर में वेरदानटोटा नामक जगह स्थित है। वेरदानटोटा को विमान के उतारने की जगह भी कहा जाता था। क्योंकि यहीं पर रावण अपना पुष्पक विमान उतारा करता था। शोधकर्ताओं के अनुसार रामभक्त हनुमान के भी उत्तर दिशा में नागदीप पर निशान प्राप्त हुए हैं। बता दें कि वह जगह भी ढुंढ निकाली गई है जहां पर राम और रावण का युद्ध हुआ था। श्री लंका में उस स्थान को युद्घागनावा नाम से जाना जाता है। रिसर्च  के अनुसार यही वह जगह जहां पर भगवान श्री राम के द्वारा रावण का वध किया गया था।

हनुमानजी के पैरों के निशान –

पवित्र  रामायण के अनुसार रावण ने माता सीता का हरण करके उन्हें अशोक वाटिका में बंदी बनाकर रखा था। श्री लंका में अब इस जगह को सेता एलीया कहा जाता है जो नूवरा एलिया नाम की जगह पर स्थित है। इस जगह पर माता सीता का एक मंदिर भी है और इस मंदिर के पास एक झरना भी है।

माना जाता है कि यहीं पर माता सीता स्नान किया करती थीं और इसी झरने के पास ही हनुमान जी के पैरों के चिह्न प्राप्त हुए हैं। इसी जगह पर वह पर्वत भी है जिस पर हनुमान जी ने पहली बार अपने कदम रखें थे। इस पर्वत को पवाला मलाई कहा जाता है। श्री लंका में पवाला मलाई पर्वत लंकापुरा और अशोक वाटिका के बीच में स्थित है।

गुफा और सुरंग

श्री लंका में एक जगह है रावनागोड़ा। यह एक ऐसी जगह है जहां पर कई गुफाएं और सुरंगे मौजूद हैं। ये सुरंगे इस जगह को अंदर ही अदंर जोड़ती थी। इन सुरंगों में आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से जाया जा सकता था। कुछ लोगों का मानना है कि इसमें से कई सुरंगे साउथ अफ्रीका तक गई है। इन्हीं गुफाओं में रावण अपनी मूल्यवान वस्तुएं, सोना और खजाना छुपाया करता था। इन सुरंगों को रावण ने अपने विशेष कामों के लिए बनवाया था।

सीता माता की अग्नि परीक्षा

श्री लंका की वेलीमड़ा जगह में डिवाउरूम्पाला मंदिर है शोधकर्ताओं के अनुसार यही वह जगह है जहां पर मां सीता ने अपनी अग्नि परिक्षा दी थी। यहां के निवासी इसी स्थान पर किसी दोषी को सजा देते थे और न्याय करते थे। इस जगह के लोग मानते हैं जैसे माता सीता ने अपनी अग्नि परीक्षा देकर अपनी सच्चाई साबित की थी । उसी प्रकार यहां पर लिया जाने वाला फैसला भी सही होता है। यहां पर दोषी को सजा मिलती है और निर्दोष व्यक्ति को उस इल्जाम से मुक्ति जो उस लगाया गया है।

सीता माता के अश्रु –

श्री लंका में सीता टियर तालाब के अंदर ही मां सीता के अश्रु  गिरे थे। यह तालाब कैंडी से 50 किलोमीटर दूर नम्बारा एलिया मार्ग पर स्थित है। माना जाता है कि यह तालाब कभी भी नहीं सूखता । जब यहां पर अत्याधिक गर्मी होती है तो यहां के सभी तालाब सूख जाते हैं। लेकिन इस तालाब का पानी वैसा ही रहता है। इसके अलावा इस जगह पर सभी तालाबों का पानी मीठा है लेकिन यहां का पानी खारा है। रामायण के अनुसार जब रावण माता सीता का हरण करके उन्हें यहां लेकर आया था तो इसी तालाब में मां सीता के आंसू गिरे थे।

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