जाने दुर्गा अष्टमी शुभ मुहूर्त, पूजन एवं कन्या पूजा विधि एवं महत्व
नवरात्रि के आठवें दिन दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी देवी की उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन महागौरी की उपासना करने से व्यक्ति के धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है । इस बार महाअष्ठमी 6 अक्टूबर को पड़ रही है। महाअष्ठमी के दिन दुर्गासप्तशती के मध्यम चरित्र का पाठ करने से व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं मां को प्रसन्न करने के लिए किस शुभ मुहूर्त में करें उनकी पूजा-अर्चना।
महाअष्टमी का शुभ मुहूर्त-
5 अक्टूबर सुबह 09:53 बजे से अष्टमी आरम्भ
6 अक्टूबर सुबह 10:56 बजे अष्टमी समाप्त
संध्या पूजा मुहूर्त- सुबह 10:30 बजे से 11:18 बजे तक
मां गौरी को प्रसन्न करने की यह है सही पूजा विधि-
– सबसे पहले पीले वस्त्र पहनकर मां की पूजा आरंभ करें।
– मां के समक्ष दीपक जलाएं और मन में उनका ध्यान करें।
– पूजा में मां को श्वेत या पीले फूल अर्पित करें।
मां की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें-
श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥
अगर पूजा मध्य रात्रि में की जाय तो इसके परिणाम ज्यादा शुभ होते हैं।
ऐसा है मां का स्वरुप-
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महागौरी को शिवा नाम से भी पहचाना जाता है। महागौरी के एक हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है। बात अगर मां के सांसारिक रूप की करें तो महागौरी उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्णी तथा श्वेत वस्त्रधारी और चतुर्भुजा हैं। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू है तो तीसरा हाथ वरमुद्रा में हैं और चौथा हाथ एक गृहस्थ महिला की शक्ति को दर्शाता हुआ है। महागौरी को गायन और संगीत बहुत पसंद है। ये सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार रहती हैं। इनके समस्त आभूषण आदि भी श्वेत हैं। माना जाता है कि महागौरी की उपासना करने से पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
अष्टमी के दिन कन्या पूजन विधि-
अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। कन्या पूजन के दौरान कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए अन्यथा 2 ही कन्याओं का पूजन करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन करते समय कन्याओं की आयु 2 साल से ऊपर और 10 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। कन्या पूजन के बाद उन्हें भोजन करवाकर दक्षिणा भी देनी चाहिए।
प्रसाद में लगाएं इन चीजों का भोग-
मां शक्ति के इस स्वरूप की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता जाता है। आज के दिन काले चने का प्रसाद विशेषरूप से बनाया जाता है।